Friday, September 25, 2020

बदली/घटा

प्रथम स्थान
नमन मंच
विषय-घटा /बदली
विधा- कविता
दिनांक- 24-09/2020
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घनघोर  घटा  नभ  पर छाये,
बरसे सुख तन-मन छा जाये,
वन - उपवन  सारा झूम उठे,
हरियाली  चहुँदिश हो  जाए ।।

घूमड़-घूमड़  घन  घूम  रहा,
अपनी  बरखा को ढूंढ रहा,
नीर  भरा  निज  आँखों  में,
हौले-हौले  से  पिघल  रहा।।

दामिनी भी ऐसे चमक रही,
जैसे अन्दर  कुछ  टूट  रही,
छन-छन तन जब बूँद पड़ी,
एक अन्दर शोला भड़क रही।।

घन देख मोर वन नाच उठे ,
पायल छन-छन बाज उठे,
ठिठक गयी वो चौखट पर ,
लखि साजन मन चहक उठे।।

नैना  से  नैना  जब  टकराये,
आँखों में  तब  बदली  छाये,
जब  प्रेमपाश में  बाँध लिया,
एक मदहोशी  मन पर छाये।।

नयनों  ने बातों सब कर लीं,
बाहों   ने  मुलाकातें कर लीं,
सासों  ने   बाँधा  सांसों  को,
अंगो   ने  अँगड़ाई  भर  ली।।

नभ पर दामिनी थी दमक रही,
मन   में   प्रेमाग्नि भड़क  रही,
नभ  पर   बदली   छाई  जैसे,
मदहोशी  तन  पर  छाई जैसे।।

नभ   बरस  रहा    है  उपर  से ,
तन    सरस  रहा   है   उपर से,
हौले  - हौले   छँट   गयी   घटा,
मन खिला मिला जब साजन से।।
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✍️🏻कुमार@विशु
✍️🏻बीकानेर ,राजस्थान
✍️🏻स्वरचित मौलिक रचना
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द्वितीय स्थान
नमन मंच
दिनांक 24 09 20
विषय बदली
मेरी नई कविता
"बदली"

बदली है जो नभ पर छाई
आज हुई मतवाली सी
शीतल सा मधुरस बरसाती
नील गगन में आली सी।

विद्युत के तारों को छेड़े
भीषण सा जो राग बजाती्
सौदामिनी गर्जन करती
अग्नि रेखा को भू पर लाती।

सूने आंगन में फिर मेरे
बूंदों की ये कैसी टप टप
कौन है मीठे स्वर में गाता
किसकी पायल बजती छन!

घायल सा मन अपना लेकर
घन-वर की करता अगुवानी
ज्वर जो मन के भीतर मेरे
शांत करे यह ठंडा पानी

बूंदों के मोती भर आते
मै भी चुन लेता कुछ अपने
कहां से आई हो तुम लेकर
बदली इतने सुन्दर सपने?

मधुकर वनमाली
मुजफ्फरपुर बिहार
स्वरचित एवं मौलिक
🌷द्वितीय स्थान 🌷
नमन मंच 🙏
महाराष्ट्र क़लम की सुगंध
विषय ....घटा / बदली
24 -09-20 गुरुवार
.. ओ बरसो काले बदरा
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ओ बरसो काले बदरा ,
   बरसा झूम झूम के आये ।
      तपन से ये मानव अकुलाया ,
          कब से आस लगाए ।

ओ बरसो काले बदरा ,
बरसा झूम झूम के आये ....

कैसी तपन सूर्य की बाहर ,
   वदन चिपचिपा करता आहत ।
      ऐसी अभिलाषा है तुझसे ,
         तू घनघोर मचाये।

ओ बरसो काले बदरा ,
बरसा झूम झूम के आये ....

कलुष कालिमा है नभ छायी ,
    घोर निराशा मन भर आयी ।
       झर झर की अब ध्वनि सुना तू ,
           मत इतना तरसाये।

ओ बरसो कारे बदरा,
बरसा झूम झूम के आये ....

मनहर नृत्य मयूर दिखाये ,
    ये समीर मद चाल दिखाये ।
       कोकिल के पंचम को तरसै ,
          मत तू अब इतराये ।

ओ बरसो काले बदरा ,
बरसा झूम झूम के आये .....

हे बदरा ! मानव की अब सुनि '
    अपने तन की हम बिसरे सुधि ।
       'मधुर' 'गति से आ बदरा तू ,
          मत इतना उमगाये ।

ओ बरसो काले बदरा ,
बरसा झूम झूम के आये ....

स्वरचित .....सुधा चतुर्वेदी ' मधुर '
                     मुंबई
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तृतीय स्थान
नमन मंच-महाराष्ट्र कलम की सुगंध
तिथि-24/09/2020
वार-गुरुवार
विषय-घटा/बदली

सावन आया
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छायी घटा घनघोर आसमान में
गरजत बरसत आई बरखा रानी
चम चम चमक रही है बिजुरी
डर लागे मोहे कांपे जिया मोर।

बीत गया है दुखों का पतझड़
आ गया है खुशियों का सावन
सब के मन में उमंग है छायी
बरसे प्रेमधार सब का हर्षाया मन।

धरती ने ओढ़ी धानी चुनरिया
धरती का भी गदराया बदन
कृषकों ने छेड़ी कजरी की तान
हो रहा है धरती-गगन का मिलन।

तन-मन पर पड़ रही है रस की फुहार
प्यार का सन्देशा लाई है बरखा बहार
साड़ी भींगी,अलकों से टपके बुन्दियन
पिया मिलन आकुल मन गाये मल्हार।

दादुर, मोर, पपिहा, झिंगुर बोले
चमके चपला जियरा मोरा डोले
पड़ गये अमवा के डार पर झूले
सावन की बरसात में हम भी झूले।

राधा कृष्ण की मनभावन छवि शोभती
वो भी हो रहे मुदित संग राधा गोरी
दोनों संग-संग झूला झूल रहे हैं
यूँ लगे सावन में सब गाये हैं होरी।

पुलकित धरती गा रही है होकर मगन
बर्षा की बूंदें मन में लगाती अगन
रिमझिम की तान पर मोर भी नाचे
आम्र के पेड़ पर आम्रगुच्छे साजे।

स्वरचित अनिता निधि
साहित्यकार जमशेदपुर,झारखंड
🌷तृतीय स्थान🌷
२४/९/२०२०
गुरुवार
नमन मंच
"महाराष्ट्र कलम की सुगंध"
विषय-घटा/बदली
विधा-कविता
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         *विरह वेदना *
घिर-घिर कर छाई,घटा 
     काली -काली
डर लागे पिया आजा ,
         हूँ मैं बांवरी
मेघ-मंडल को बेंध विद्युत
         कौंध रही।
मन क्लान्त है विरह वेदना
          झेल रही।
मन क्रंदन अनिद्रित नयन 
         तुम्हें ढ़ूँढ़ रही।
प्रेमाभिसार हृदय,तेरा पंथ
           जोह रही।
हृदय मेघ रूप बन,घनघोर
        नैनों मे छाया।
रिमझिम बूंदन बरस रही 
       नैनो से,आजा।
दिल मे बेचैनी घबराहट 
         पैदा होती।
रह-रह कर नभ में बिजली
         चमकती।
तड़ित हृदय पर आआकर
            गिरती
दिल की धड़कन ही थम
           जाती।
पिऊ पिऊकहाँssकी रटन
      लगाया पपिहा।
सुनकर मनतड़प उठा दिल
       तुम्हें पुकारा।
इन्द्रधनुषित स्निग्ध मेघखिला
         आकाश में ।
पर विरह असह्य है,नहीं भाता
          हृदय प्राण को
घनन -घनन -धन गरजे घन
             नभ में।
चमक -चमक चम चमके
       बिजुरी घन में।
दादुर,झिंगुर,मेंढ़क गाये सब
       अपनी धुन में।
मोर -मोरनी झूमझूम के नाचें   
          मधुबन में।
देखो पगली है सरिता कितनी
          प्रखर वेग में।
हतप्रद निकल पड़ी मिलने
            सागर से।
            * * *
*नीलम पटेल" *प्रयागराज *
(स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशित रचना)
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सराहनीय प्रस्तुति
नमन मंच
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
दिनांक-24/9/20
विषय-घटा/बदली

आसमान में छाई काली घटा झूमे तन मेरा,
बादल गरजे बिजली चमके धड़के मन मेरा!!

झूला झूले सखियां बागों में हवा है मतवाली,
मोर भी नाचने लगा गीत गाए कोयल काली!!

अब कोई प्यासा नहीं धरा पर सब शान्त दिखने लगा,
देखकर खुश धरती को आकाश भी हँसने लगा!!

तृप्त होकर धरा यूँ शर्म से पानी हुई,
धानी चूनर से सुशोभित कैसी बेगानी हुई!!

स्वरचित/मौलिक
आभा सिंह लखनऊ उत्तर प्रदेश
(2)
नमन मंच
दिनांक-24/9/20
विषय-घटा
जब पड़ी पावस की
प्रथम बूँद
धरा कर बैठी तरुण
नवयौवना सृंगार
मन मस्त हुआ
देख पावस फुहार
धूल गए वृक्षो के पात पात
नन्हे पौधे ले अंकुरण भाव
बाल सुलभ
शिशु लीला अपार
धानी चूनर ओढ़ धरा
चमके कैसी बूंदों की ले थाह
इठलाती आनन्दित
जब चली बयार
छाई कैसी घनघोर घटा
दे रही धरा को
अनगिनत उपहार
दादुर ,कोयल,मोर,चकोर
नाच रहे बन चित चोर
रवि छिप कर बैठा
करता विश्राम
बादल गरजे विजली चमके
श्यामल वर्ण में ज्यो
दतिया चमके
तड़तड़ छनछन,पट पट
धुन बजती ले संगीत अपार
विरहन तरसे परदेसी पिया
व्याकुल मन से
खड़ी ताके द्वार
हर्षित जन मानस और संसार
जब पड़ी
पावस की बूंद बन फुहार

स्वरचित
मीना तिवारी
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महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित चित्र आधारित कविता लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।

अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)

चित्र गूगल से साभार

4 comments:

  1. चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐💐💐

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  2. सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें 💐💐💐👏👏👏👏

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  3. सभी को ढेर सारी बधाई 💐💐💐

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  4. वाह.....वाह...बहुत सुन्दर हार्दिक बधाई💐💐💐💐

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पिता

  प्रथम स्थान नमन महाराष्ट्र क़लम की सुगंध मंच दिनांक - १६/१०/२०२० दिन - शुक्रवार विषय - पिता --------------------------------------------- ...