Friday, October 16, 2020

लहरें

प्रथम स्थान
मंच को नमन
विषय :लहरें 
दिनांक:१५-१०-२०२०

लहरें लहरें होती है मन की हो चाहे जल की
दोनों में विविधता में एकता है !
एक वैचारिक वयाव्य का परिणाम 
और दूसरी का कारण भौतिक नैसर्गिक 
वयाव्य है !!!
समंदर में उठती 
जल लहरों में और मन में उठे वैचारिक  
लहरों में काफी साम्य है !
एक ऊपर उठ उठ कर 
मानों आसमान छूनें के प्रयास में रहती रत 
दिन रात रम्य है!!
ठीक विपरीत स्तर हो तो तबाही से बिठाते तारतम्य है!!! 

क्रमशः दूसरी लहरें भी कम नहीं
भूतल से ब्रह्मांड तक पहुंचने 
का साहस अदभुत और अदम्य है!!

समंदर अनंत है तो मन सोच का जखीरा भी असीम अत्यंन्त सतत है!!!
मन की लहरों का 
साम्य सामान्य जल भराव या तलाब की लहरों 
से भी कर सकते जो अल्पकालीन तरंगी आवेग सहनीय 
सकारात्मक है तो क्षम्य है!
वही नकारात्मक मन लहरें 
नुकसान दायक और अक्षम्य है!! 

स्वरचित:अशोक दोशी
सिकन्दराबाद
७३३११०९२५८
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द्वितीय स्थान
नमन मंच- महाराष्ट्र कलम की सुगंध
तिथि-15/10/2020
विषय-लहरें

जब भी मैं देखती हूँ सागर को
कई भाव उठते हैं मन में
बैठ किनारे रेत पर
देखती रहती हूँ सागर को
कितना अथाह,,,कितना विशाल
दूर-दूर तक फैला उसका विस्तार
दिखता नहीं है कोई ओर छोर 
मचलती लहरें,,,होतीं विचलित 
आती टकराती हैं किनारों से
ना जाने क्या कहती है वो
मिलता जैसे नहीं है कोई जवाब
फिर ये लहरें दूर छिटक जाती हैं
किनारे बैठ मैं देखती इसका नर्तन
है उसमें कितना भीषण गर्जन
शान्त समुन्दर में  है कितना कोलाहल
मानों उद्वेलित हैं उसके भाव
आकर किनारों से क्या कहती हैं ये लहरें?
है कितनी बेचैन,सर टकराती हैं किनारों से
आखिर क्या कहती हैं ये लहरें?

स्वरचित
अनिता निधि
जमशेदपुर,झारखंड
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तृतीय स्थान
नमन 
महाराष्ट्र क़लम के सुगंध 
विषय ....लहरें 
15-10-20 गुरुवार 

सागर की लहरों को देखूँ , 
तो मन विचलित हो जाता है़ । 
लहरें आती हैं मचल मचल , 
पर केवल भिगो वो जाता है। 

जाने के बाद कचरा छोड़े , 
या छोड़े कोई अन्य वस्तु । 
पर हानि कुछ ना वो देता , 
लहरों का खेल दिखाता है। 

मन में मेरी लहरें उठतीं , 
तूफ़ान हृदय में मच जाये । 
सब उथल पुथल मन में होता , 
अन्तर्मन दुःखित हो जाये । 

ये जग बदला मानव बदला , 
सब रीति प्रीत की बदल गयीं । 
स्वारथ पर तुला हुआ मानव , 
संवाद की भाषा बदल गयी । 

लहरें चिन्तन की उठ जायें , 
मन में तूफ़ान सा आता है । 
कोरोना आया क्या इसीलिए , 
ये लहर व्यथा की लाया है। 

स्वरचित सुधा चतुर्वेदी मधुर 
   . मुंबई
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सराहनीय प्रस्तुति
1️⃣
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
15 अक्टूबर 2020
विषय-लहरें
विधा-कविता
***********
लहरें उठे मन में कभी, 
छू लेती हैं मन का छोर,
उथल पुथल मच जाती,
नाच उठता है मन मोर।

लहरें उठे जब समुद्र में,
आएगा कोई भी तूफान,
पेड़ पौधे सब नष्ट होते,
तबाह हो जाते मकान।

लहरें उठे कवि के मन,
ले डालेगा वो बड़ा गीत,
पढ़कर उसका गीत जन,
मन में जागेगी एक प्रीत।

लहरें उठे औरत मन में,
कर सकती बड़ा विनाश,
सब कुछ तबाह हो जाए,
कठिन हो जाता है सांस।
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स्वरचित नितांत मौलिक रचना
***********************
*होशियार सिंह यादव
मोहल्ला-मोदीका, वार्ड नंबर 01
कनीना-123027 जिला महेंद्रगढ़ हरियाणा
 2️⃣
नमन मंच
विषय- लहरें
दिनांक 15-10-2020
विधा-कविता

बड़ी मन मोहिनी होती हैं, 
समन्दरी लहरें|
अथाह जल की उथल पुथल , 
ही होती लहरें|
समुद्र की प्रभुता का हैं, 
 प्रतीक ये लहरें|
असंख्य शेरों की गर्जना, 
लिए गरजती लहरें|
जल, के जलजले का 
उनवान, बनाती लहरें
बड़ी बेलगाम उद्दाम, 
ये होती लहरें|
खारा पन विश्व का पीकर, 
बनती खारी लहरें|
किसी कवि की कल्पना, 
भी होती लहरें|
काव्य की प्रेरणा होती, 
हैं ये लहरें|
चांद को छूने का प्रयास, 
करतीं लहरें|
पूर्णमासी की रात में
दीवानगी दिखाती लहरें|
समन्दरों में तुफान ये, 
उठाती ये लहरें|
सबके मनोरंजन के लिए, 
लहर लहर लहराती लहरें|
सुनामी लाके कहर, 
मचाती लहरें|
घरों को सड़कों आदमी को, 
निगल जाती लहरें|
किसी मछेरे, जहाज,सैलानी की, 
नहीं होती लहरे|
वक्त आने पर ये सबको, 
चबा जाती लहरें|
गये नाविक नाव लिए उनको, 
निगल जाती ये लहरें|
आके सागर से टकरा, 
के बिखर जाती हैं|
और नागिन तरह साहिल, 
को डसती लहरें|
रात दिन आठो पहर, 
आती और जाती लहरें|
देखने में ये हसीन लगती हैं, 
पास आने पे सताती लहरें|
इनके तट पर इतिहास, 
का बसेरा है|
बदलते वक्त का हर, 
सांझ और सवेरा है|
स्वरचित 
सर्वाधिकार सुरक्षित
 विजय श्रीवास्तव 
बस्ती
 दिनांक-15-10-2020
3️⃣
महाराष्ट्र कलम सुगंध
जय-जय श्री राम राम जी
15/10/2020/गुरुवार
*लहरें*
काव्य

लहरें उठती रहती
अथाह समंदर की
अगाध जलराशि में
हमारे मन मानस में
उमंग की हिलोर
कभी उन्मुक्त लहर।
हृदय की हूक से
उपजती
खुशी की लहर
कभी गुस्से की सनक
सभी मानसिकता
से प्रेरित
हमारे मनोविकार अथवा
मानसिक उ‌दिग्न उदगार
ईश्वरीय उपहार
लहरों से सरकार
हमारी संस्कृति संस्कार
सनातन सत्कार
सुन्दर प्रसन्नता की
उपजती लहर।

स्वरचित
इंजी शंम्भू सिंह रघुवंशी अजेय गुना म प्र
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महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित विषय आधारित लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।

अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)

चित्र गूगल से साभार

1 comment:

  1. चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई 💐💐

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