प्रथम स्थान
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
16/9/2020/बुधवार
विषय# बाढ#
विधा-काव्यःः
जलधर इतना जल भर लाऐ,
ये जल प्रलय से शोर मचाऐं।
मुश्किल में प्रभु पडी जिंदगी,
तुम गंगाधर अब हमें बचाऐं।
यहाँ नदियां नाले झूम रहे हैं।
प्रत्येक शिखर ही चूम रहे हैं।
तांडव नृत्य करते जल देवा,
घुमड घुमडकर बरस रहे हैं।
मकान दुकान तैरते पानी में।
हाहाकार मचा रजधानी में।
घर गृहस्थी वहती रोजाना,
बहुत व्यथित हैं परेशानी में।
सैनिक सहायक बने हुए हैं।
सब सेवाकार्य में डटे हुए हैं।
डाल जान जोखिम में ऐसे,
वीर जवान सब लगे हुए हैं।
सब बाढ पीडित परेशान हैं।
क्या करें बहुत व्यवधान है।
जल प्रवाह भी रूकता नहीं,
पशुपक्षी अब डरे किसान हैं।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
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द्वितीय स्थान
नमन
महाराष्ट्र क़लम की सुगंध
विषय .....बाढ़
16-09-20 बुधवार
ये दृश्य मौत का मंजर है,
आपदा प्राकृतिक आई है।
बारिश का रूप है बाढ़ बना ,
ये वृक्ष पर है चढ़ आई है।
ये वृक्ष ही रक्षक बन जाये,
विश्वास आस्था मन में है।
पर वृक्ष सतत जीवन कितना ,
उसके मस्तिष्क के अंदर है।
कहते हैं ये दैविक आपदा है,
पर ये तो मौत निमन्त्रण है ।
विकराल रूप जल का देखो,
घर का विनाश भयंकर है।
ये रौद्र रूप महा प्रकृति का है,
तुमने भी मर्यादा तोड़ी थी।
प्रिय धरा का तुमने नाश किया ,
बंजर सम बना के छोड़ी थी।
संरचित सुधा चतुर्वेदी मधुर
मुंबई
द्वितीय स्थान
दिनांक - १६/०९/२०२०
दिन - बुधवार
विषय - बाढ़
विधा - मुक्तक
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भारी बारिश ने किया पूछो ना क्या हाल।
सड़कें पानी से हुई भरकर नदिया ताल।
डूबे घर सब पानी में डूब गए सब खेत -
अस्त-व्यस्त हालत हुई जनजीवन बदहाल।
डूबा जल में आशियां दिखे कहीं ना छोर।
कोलाहल क्रंदन करे त्राहि-त्राहि हर ओर।
जलमग्न हर थल हुआ डूबे जंगल पेड़ -
पशु, पक्षी, जन त्रस्त हो ढूंढे अपना ठौर।
कुदरत ने ऐसा किया जल से बड़ा प्रहार।
नर, नारी और जानवर असहायों लाचार।
जगह सुरक्षित ढूंढते हो हो कर बेचैन -
करें दुहाई रामजी कर दो बेड़ा पार।
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित
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तृतीय स्थान
नमन महाराट्र कलम की सुगंध
16 सितंबर 2020 बुधवार
विषय-बाढ़
विधा-कविता
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प्रकृति की आती आपदाएं
बरपा सकती हैं बड़ा कहर,
गांव पानी में बह जाते कई,
तबाह हो जाते हैं कई शहर।
घर में रखा सामान खराब,
कहां जाएं दर्द मारे जनाब,
खत्म हो जाते सभी ख्वाब,
नहीं मिले माथे की आब।
रात गुजारते ,भूखा रहकर ,
सिर छुपाने की जगह नहीं,
पेड़ों पर चढ़कर बैठ जाते,
विपत्ति घेरती है जहां कहीं।
घोर संकट होता प्रकोप बाढ़,
नहीं पता कब आ जाए बाढ़,
सावन में अकसर आ जाती,
कभी आ जाये माह आसाढ़।।
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स्वरचित, नितांत मौलिक
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*होशियार सिंह यादव
मोहल्ला-मोदीका, वार्ड नंबर 01
कनीना-123027 जिला महेंद्रगढ़ हरियाणा
व्हाट्सअप एवं फोन 09416348400
महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित चित्र आधारित कविता लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।
अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)
चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteसभी विजेताओं को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें👏👏👏👏👌👌👌👌💐💐💐💐
ReplyDeleteसभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसम्मान पत्र की व्यवस्था नहीं है क्या?
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