Sunday, September 20, 2020

आँखें

प्रथम स्थान
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दिखाई देती है उसमें,
अंतर मन की सभी दशा,
नयन तो दर्पण है ,
मन का।

देख पाते है, इन नयनो से हम,
निकृष्ट और उत्कृष्ट
में अंतर,
देखते है हम नयन से,
जगत की मंजुलता।
हृदय का संदेश वाहक है नयन,
देख पाते हम उससे,
जीवन के अयन।
अम्बक से ही किसी
को देख कर प्रशन्नचित,
हम होते हैं हर्षित।
दया की भावना भी हृदय में, नयनो से
आती है।
बात हो निस्वार्थ प्रेम की या हो निच्छल स्नेह की,
चित्त को ये बोध तो,
नयन हीं कराते है।
हृदय के साथ होता है,
नयन का रिश्ता इतना
गहरा,
रुदन को करता है हृदय पर अश्रु तो,
नयनों में आतें है।
बड़ा हीं महत्वपूर्ण है,
तनु के लिए नयन।
जिसे न दिखे नयन से,
उनके लिए अश्रुपूरित,
होता है हर क्षण।
हम मानस में रखे ये ज्ञान सदा,
सदैव ध्यान रहे अनमोल नयन का।

दिखाई देती है उसमें,
अन्तरमन की सभी दशा,
नयन तो दर्पण है मन का।।

- मिनाक्षी जायसवाल
   पदमा ( हजारीबाग)
     झारखंड
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द्वितीय स्थान
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         *प्रतिबिम्ब *
आँखें मन का दर्पण,मन को
       मुखरित करतीं।
भृकुटि-भंगिमा चेहरे की मन
       का भाव,दर्शातीं।
जो भी देखा करतीं,उसेआँखें
         कैद कर लेतीं।
नयनअवरुद्ध हृदय की बंधन
        व्यथायें कहतीं।
जो हम न कह पाते,आँखें सब
        कुछ ब्यान कहतीं।
मन के सारे भेद येआँखें बखूबी
             खोल देतीं।
सत्य-झूठ,बुरे-भले सारे कर्मों का,
        अवलोकन करतीं।
संध्या की लाली समान जब आँखें,
      थक कर सोतीं।
अंतर्व्थाएं काफी हद तक मन
       हल्का कर देतीं।
दुख में आँखें मेंघ बन रिमझिम
        अश्रु छलकातीं।
आँखेंजाने कितनी ही उपमाओं
        से उपाधि जातीं।
कोई कहताआँखें हिरणी जैसी
      मतवाली है प्यारी ।
शायरों द्वारा सुंदरआँखों की महिमा
         बखानी जाती।
           *   *    *
*"नीलम पटेल"*प्रयागराज *
(स्वरचित,मौलिक,अप्रकाशित
रचना)
🌷द्वितीय स्थान🌷
नमन मंच
विषय-आँखे


मन का आईना बन
चंचल शोखियो सी
गहरी झील सी
गहरी ये आंखे
बहुत कुछ कह जाती ये आँखे

दिल की नगरी में रह
कहती जज्बातो की कहानी
या करती कोई नादानी
मुस्कराकर जता जाती
ये खूब सूरत सी आँखे

नचाया करती है
ये नाचने वाली
इशारो ही इशारो में
बया कर जाती
सारे दिले हालात
सच मे क्या क्या कह जाती आंखे

कभी सुर्ख गुलाबी सी
सागर की आगोश में
परछाई दिखाती हुई
बन रवि की छाया
अंगारे सी धधकती
जलती और जला जाती ये आंखे

पल्लू को ओठो से दबा
झुकी पलको को से
तिरछी आँखों से
दिल की बातो को
बिन कहे कह जाती
ये शर्माती सी आँखे

कभी लाल कभी नीली
कभी पीली कभी गीली
कभी ओस की बूंदे टपकाती
कभी दुखो को
बया करती
और कभी जार जार रो कर
दिल की तड़फ बतला जाती ये आंखे

छिपे है ढेरो राज
बन नैनो का साज
बड़ी तमाशबीन है
बेपनाह हुनरमंद
दिल की वसीयत
बड़ी रंगीन है ये आंखे
सच मे क्या क्या गुल खिला जाती ये आंखे

स्वरचित
मीना तिवारी
पुणे महाराष्ट्र
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तृतीय स्थान
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#आंखें
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ना जाने कितनी उम्मीद से
तकती हैं तुम्हें ये मेरी निगाहें
हर बार लौट आती हैं निरूत्तर
ये बोलती आँखें!

है इन्तज़ार भरा भाव कितना
मेरी इन निगाहों में
पूरा होता नहीं है सपना
तकती रहती हैं आँखें!

शायद निगाहों ने निगाहों की
भाषा पढ़ी नहीं,समझी नहीं
पाया ना उत्तर
है प्रतीक्षारत आँखें!

उतारा है क्या अपनी निगाहों से
खोजता हल मेरा अन्तर्मन
मिलता नहीं है हल
अनुत्तरित हैं आँखें!

मैं नहीं चाहती गिरो तुम,मेरी निगाहों से
बसे रहो मेरी इन निगाहों में
दर्शन करती रहूँ मैं तेरी
आनंदित होती रहें मेरी आँखें!

स्वरचित
अनिता निधि
जमशेदपुर,झारखंड
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सराहनीय प्रस्तुति
(1)
आँखें  न  केवल  चेहरे  की  सुंदरता ,
नजरों की दृष्टी की आँखें ही माध्य हैं ।
नजरों का  साधन बनती ये  आँखें हैं ,
आँखें ही नजरों की साधन और साध्य हैं ।

आँखें बदलती हैं बार बार नजरों को ,
कभी रौद्र दीखें कभी प्यार की कटार हैं ।
नजरों में गिरता जो बार बार आँखों से ,
फिर  न  उठे चाहे  कोशिशें हजार   हैं ।

आँखें मिलाना पर आँख न चुराना कभी ,
ये ही दोस्ती और रिश्ता निभाती हैं ।
आँख के इशारे पर नजरें हैं चलती सदा, 
नजरें छिपायो लाख आँख सब बताती हैं ।

आँखों और नजरों की दोस्ती है प्यारी सी ,
जहां नजर उठे वहाँ आँख घूम जाती हैं ।
आसपास दुनियाँ में ' मधुर' हमारे  क्या ,
नजरें सब लाती खबर आँख को बताती हैं ।

स्वरचित मौलिक ...सुधा चतुर्वेदी' मधुर

                           मुंबई
(2)
विषय - आँखें
विधा -कविता

हर बार ये करामात दिखाती हैं आँखें,
कितने भी गहरे राज हों बोलती हैं आँखें,
ये तो इन्सान के दिल का आईना होती हैं,
खुशी के आँसुओं को भी अपने आँचल में
पनाह देती हैं आँखे!!

कभी गीत कोई तो कभी गज़ल हैं आँखें,
कभी कोई चेहरा झील जैसा तो कमल हैं आँखें,
जादू की पुड़िया होती हैं आँखें,
कभी गम में कभी खुशी में रोती हैं आँखें!!

सारी दुनिया के राज खोलती हैं आँखें,
लोगों से ज्यादा बोलती हैं आँखें,
ईश्वर का सबसे सुंदर उपहार हैं आँखें,
नमन उस प्रभु को जिसने हमें दी है ये
प्यारी आँखें!!

मौलिक- आभा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश
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महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित चित्र आधारित कविता लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।

अनुराधा चौहान 'सुधी'
चित्र गूगल से साभार
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)

3 comments:

  1. चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई 💐💐

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  2. शानदार रचनाओं की हार्दिक बधाई 💐💐💐💐

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  3. मेरी कविता को सम्मानित (द्वितीय स्थान )करने के लिए निर्णायक मंडल एवं मंच का तहे दिल से आभार।साथी विजेताओं को भी बधाईयाँ💐💐💐💐💐

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पिता

  प्रथम स्थान नमन महाराष्ट्र क़लम की सुगंध मंच दिनांक - १६/१०/२०२० दिन - शुक्रवार विषय - पिता --------------------------------------------- ...