Wednesday, October 7, 2020

सफर


 प्रथम स्थान
नमन मंच
7/10/20
विषय-चित्रलेखन
विधा-छंदमुक्त

आज से पहले
सड़को को इतना
वीरान नही देखा
इस कदर गरीबो को
अपने जज्बात छुपाते नही देखा।
बेचता था जो गुब्बारे
कभी अपनी सांसो को भर
आज उन्ही सांसो को
टूटते हुए देखा।

हालात इतने बदले
भूख की बेसब्रियो के
अनाज के खाली डिब्बो में
कीड़ो को दम तोड़ते देखा।

रोज की तरह
गमछे को बना मास्क
जाता है काम की लेकर आस
क्या खिलाऊँगा अब
ये सोच एक बाप को
जार जार रोते देखा।

माँ भूख लगी देदे कुछ
बेटा आने दे बापू को
दिलासा देती 
माँ को आँसू पीते देखा।

आन लाइन पढाई
बन गई मजबूरी
कैसे पढेंगे हम
गरीब बच्चों को 
एक झलक फ़ोन के लिए
तरसते हुए देखा।

बचा हुआ खाना 
फेकते है कितनी आसानी से
भूखे नंगे बच्चो को
पत्तल को चाटने की
चाहत को देखा।

कोरोना की मार कम थी
बाढ़ और बारिश
की वीभत्स संहार से
अपनी ही झोपड़ी में
खुद को छुपाते देखा।

तन बदन की नग्नता को
फटी साड़ियों से
युवतियों को
दरिंदो से अपनी आबरू 
बचाते हुए देखा।

पैदल चलकर
अपनी जीवन की बची साँसे ले
आंसू पीकर
चिलचिलाती धूप में
रोटी की आशा से
अपनो के करीब 
लंबा सफर तय करते देखा।

स्वरचित
मीना तिवारी
पुणे महाराष्ट्र
🏵️ प्रथम स्थान🏵️
नमन मन्च 
गीत-" इस तरह दर्द कागज से लिपटा रहा "
सर्वाधिकार सुरक्षित 

शब्द मिलते रहे गीत लिखता रहा 
इस तरह दर्द कागज से लिपटा रहा
हादसों में गुजारी है सारी उमर 
फिर भी कट न सका जिन्दगी का सफर 
भावना मिट गयी अर्थ बिकता रहा
शब्द मिलते रहे गीत लिखता रहा 
साजिशें करते करते मेरे हमसफ़र 
लूट लेते हैं दिल बनके वो रहगुजर 
 आह भरते रहे दर्द होता रहा 
शब्द मिलते रहे गीत लिखता रहा 
ख्वाहिशें जिन्दगी भर खतम न हुई 
मर गये जो मुहब्बत तो कम न हुई 
अश्क गिरते रहे गम उठाता रहा
शब्द मिलते रहे गीत लिखता रहा 
मैंने मिलकर खुदा से दुआ मांग ली
कितनी हैरत है तुमसे वफा मांग ली
जख्म मिलता रहा कष्ट होता रहा
स्वरचित-अभिषेक मिश्र 
केशव पण्डित
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द्वितीय स्थान
नमन 
महाराष्ट्र क़लम के सुगंध 
विषय ....सफर 
07-10-20 बुधवार 

जीवन शैली इतनी सरल सहज नहीं होती, 
जन्म से मृत्यु तक जीवन का सफर पाना है । 
कंकरीली पथरीली संघर्षमयी राहें हैं , 
हौंसला से ही सफर की राह बनाना है। 

जीवन के संघर्षों से मन संकुचित मत करो , 
संघर्षों के बाद ही जोशीलि आंधी आती है । 
देखते हो सागर की खामोशी के हौंसले,  
उसमें कितने तेज ज्वार भाटे ले आती है। 

बया का हौंसला देखो तिनके बीन लाती है, 
तिनके तिनके से अस्थिर घोंसला बनाती है। 
मुँह में दाना भरके बच्चों की परवरिश करती है़ , 
पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान भरती है़ । 

हौंसले से अज्ञानी कालिदास ने ग्रंथ लिखे , 
इसके बिन तुलसी तुलसीदास न बन पाते । 
होंसला न होता तो वाल्मीकि महान ना होते , 
होंसले से राम जी वनवास भी न जा पाते । 

कोई भी राह हो कैसी भी दास्ताँ हों कभी , 
हमको अपने हौंसले से सफर स्वयं चुनना होगा । 
प्रतिभा कभी मोहताज नहीं होती किसी हाल में , 
शून्य से हजार तक हमको ही गिनना होगा । 

स्वरचित सुधा चतुर्वेदी ' मधुर ' 
                    ....मुंबई
🏵️ द्वितीय स्थान🏵️
नमन मंच
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
दिनांक 7/10/2020
विधा-छन्दमुक्त कविता
शीर्षक-सफर

जिन्दगी इक सफ़र है चलते रहिए
फुरसत में डी पी बदलते रहिए।

आंधी, तुफान ,बादल का करता,
बस सूरज की तरह चमकते रहिए।

जीवन मिले चार दिन ही सही,
सूखे गुलाब की तरह महकते रहिए।

सुख-दुख की फ़िक्र बहुत कर लिया
जीवन के फिहलपट्टी पे फिसलते रहिए।

आज कल के चक्कर में आधी उम्र गई,
सुबह पानी पीकर टहलते रहिए।

जीना हो जाएगा बड़ा आसान,
बस हालात के साथ ढलते रहिए।

नूरफातिमा खातून नूरी
जिला-कुशीनगर 
उत्तर प्रदेश
मौलिक/ स्वरचित
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तृतीय स्थान
नमः मंच- महाराष्ट्र कलम की सुगंध
तिथि-7-10-2020
विषय- सफर
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सफर जिंदगी का हो या
अपनी-अपनी सोच का
सब सही होता है क्योंकि 
वो उसका तय किया होता है।
सफर लम्बा भी होता है
पथरीला,कटीला और गहरा भी
हरियाली, फूलों वाली
कहीं चार पगडंडियों का मिलन
और कहीं ठहरी सी एक गली।
सफर सोच का हमारा ऐसा ही तो होता है
किसी के लिए फुलों जैसा
किसी के लिए कांटों जैसा
अपनों जैसा तो किसी के लिए अनजानों जैसा।
यह सफर तो चलता रहता है
दोस्तों में, परिवारों और रिश्तेदारों में।
यह सफर कहीं तो ठहर सी जाती है
कहीं बिखर कर अलग हो जाती है
किसी के पास हों जाती है 
तो किसी से बहुत दूर हो जाती है।
सफर इसी का नाम है
चलते रहना है हम सभी को
मंजिल अपनी तय करनी है
मिलना और बिछड़ना
सुख और दुःख का होना
जीवन में यह सब दिन आता जाता रहता है
सामना करते रहना है आगे बढ़ते रहना।
शायद सफर इसी का तो नाम है।।

स्वरचित
विभा झा
रांची झारखंड।
🏵️तृतीय स्थान🏵️
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
7 अक्टूबर 2020
विषय-सफर
विधा-कविता
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सफर सुहाना होता है,
जब हों संग में साथी,
दूर बैठा हो साथी तो,
भेजों लिखकर पाती।

सफर दुष्कर बनता,
जब हो लंबा सफर,
दर्द हजारों मिलते हैं,
भजते रहते हर हर।

सफर पहाड़ों का हो,
रोमांच भर दे शरीर,
फूलों का सफर हो
हर ले मन की पीर।

सफर सफर ही हो,
चाहे नजदीक, दूर,
सफर नाम सुनकर,
घट जाता तन नूर। 
*************************
नितांत मौलिक एवं स्वयं रचित
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होशियार सिंह यादव
मोहल्ला-मोदीका,कनीना-123027
जिला-महेंद्रगढ़,हरियाणा
मोबाइल-09416348400
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सराहनीय प्रस्तुति
1️⃣
नमनमंच संचालक ।
महाराष्ट्र कलम की सुगन्ध।
विषय -सफर
विधा - सायली छन्द
स्वरचित 

सफर 
जिंदगी का
यूं गुजर गया
उड़ गया
कपूर।। 

सफर
रूक गया
जब गयी मुहब्बत
छोड़कर मुझे
तन्हा।। 


प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
07/10/2020
2️⃣
नमन मञ्च🙏🌻✍️🎄
विषय-सफर

सावधान !
युग बदल रहा है।
खबरदार !!
जमाना खराब है।।
होशियार !!!
कार्य प्रगति पर है ...
सफर जारी रहे
आगे अंधा मोड़ है
इस हेतु सतर्क रहें
नजर हटी
 कि
दुर्घटना घटी
💐💐💐💐💐💐💐💐
स्वरचित मौलिक

श्रीरामसाहू"अकेला"
✍️🌻✍️🌻✍️🌻✍️🌻
3️⃣
नमन मंच-महाराष्ट्र कलम की सुगंध
तिथि-07/10/2020
विषय-सफर 

सुख दुख हैं दो किनारे
*****************

जीवन एक सफर है
सुख-दुख उसके दो पड़ाव हैं
जहाँ ठहरना और आगे बढ़ना है
न दुख कभी टिकता है 
न सुख कहीं ठहरता है
फिर मन भारी क्यों करता है?
बढ़ते चलो,बढ़ते चलो
चलना ही जिन्दगी है
जीवन एक नदी है
उसकी अपनी रवानगी है,बहाव है
उसे तो अविराम बहते जाना है
सुख-दुख उसके दो किनारे हैं
जो सदैव बराबर साथ चलते हैं
जीवन सुख-दुख का आंगन है
इसमें ही हमें जीवन बिताना है।

स्वरचित
अनिता निधि
जमशेदपुर,झारखंड
4️⃣
महाराष्ट्र कलम की सुगंध को नमन
विषय :सफ़र
दिनांक:७-१०-२०२०

जिंदगी के लंबे सफर तय करना आसांन नही
हर किसी को हमसफ़र चाहिये
वह न केवल पत्नी ही साथ मां बाप भाई बहन या कई 
हमख्यालात मित्र व एक प्यारा परिवार चाहिये
और साथ अपना खुद का 
लुभावना ख्याल और एक सुविचार चाहिये!!

पर एक बात तय है जीवन के फासले अकेले कटना कठिन है
इसे तय करने कोई तरफदार के साथ साथ तलबगार चाहिये!!!

अकेला चना भांड नहीं फोड सकता
जीवन की असहजता और असुविधा को निपटने के लिए एक सरल सतह आधार चाहिये
जिंदगी के लंबे सफर तय करना 
आसान नहीं 
हर किसी को साथ में हमसफ़र चाहिये!!

स्वरचित :अशोक दोशी
अभी अभी
सिकन्दराबाद
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महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित विषय आधारित लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।

अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)

चित्र गूगल से साभार

1 comment:

  1. सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐

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पिता

  प्रथम स्थान नमन महाराष्ट्र क़लम की सुगंध मंच दिनांक - १६/१०/२०२० दिन - शुक्रवार विषय - पिता --------------------------------------------- ...