प्रथम स्थान
नमन मंच
महाराष्ट्र कलम के सुगंध
विषय .....तूफ़ान
26-09-20 शनिवार
तूफ़ान भरा ये जीवन है़ ,
अनगिनत तूफानें आते हैं ।
मानव की जड़ें हिलाते ये ,
जीवन में व्यथा बढ़ाते हैं ।
साहस और धैर्य परीक्षा में,
हर बार सफलता नहीं मिलती।
व्याकुलता अंतर्मन बढ़ती ,
हृदय में शांति नहीं बनती।
तूफ़ान कभी परिवार को घेरे ,
प्रतिवाद का रूप दिखाता है।
संवाद विषम बन जाते हैं,
रिश्तों में कुटिलता लाता है।
कहीं निर्धनता तूफ़ान बने,
अति धन व्यथा भी बन जाये।
बे मौत का मंजर जब घेरे,
मानव को घायल कर जाये।
तूफ़ान कहीं बिगड़ी पीढ़ी ,
कहीं बेटी का वो दर्द बने।
बिगड़ा है़ स्वास्थ बीमारी से ,
कहीं बेटी का वो दर्द बने।
तूफ़ान जहर हैं जीवन के ,
पर जहरॉ को पीने पड़ते ।
तूफानों से मत विचलित हो,
ये जीवन के हिस्से बनते ।
स्वरचित सुधा चतुर्वेदी मधुर
मुंबई
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
द्वितीय स्थान
नमन मंच
विषय-तूफान
दिनांक-26/9/20
प्रकृति के इशारे।
फैलाये मुँह पसारे।
तिमिर तूफान लेकर।
हास परिहास बनकर।
प्रलय का ले ववण्डर
वायु प्रतिकूल होकर।
ह्रदय का शूल बन।
राह वीरान कर।
उभरती टीस बन।
दुःखत तरंगे आई।
मुश्किलें कम न थी।
विपत्ति जो फिर आई।
बवण्डर बन झोंके।
सुनाते प्रलय हरहर।
कपन्तित सभी दिशाएं।
धरा भी थरथराई।
टूटे वृक्ष लताये।
रजत कण बिखराये।
मिटे है अनगिनत घरौंदे।
जगत से गए है कितने।
अजब सा फैला मंजर।
लुटा सा प्रकृति बवण्डर।
स्वरचित
मीना तिवारी
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
तृतीय स्थान
२६/९/२०२०
शनिवार
नमन मंच
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
विषय-तूफान
विधा-कविता
- - - -
* द्रौपदी *
द्रौपदी के मन में,भीषण तुफ़ान था
सरल जीवन में व्यवधान था।
भरी सभा में,द्रौपदी का मिटा
मान-सम्मान था।
धृतराष्ट्र-दरबार में दुर्योधन ने
किया अपमान था।
धूर्त दुशासन ने चीर हरण कर
सम्मान,हनन किया था।
अनाथिनी द्रौपदी के आर्त कंठ
लज्जा,घृणा,से व्यथित था।
दुष्ट दुशासन द्रौपदी को केश
खीचभरी सभा में लाया।
वस्त्र खीचकर द्रौपदी का मन
ही मन हर्षाया।
पंच-पांडव एक दूसरे का मुँह
देखते रहे सर झुकाये।
अपमान का तुफा़न मन में
,द्रौपदी ने प्रतिज्ञा ठानी।
दुशासन के खून से बाल धोने
की,मन में प्रण ठानी।
हुआ परिणाम भयानक
महाभारत छिड़ गया।
कौरवों का दुनिया से नामों
निशान मिट गया ।
*"नीलम पटेल" *प्रयागराज *
(स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशित रचना)
🌷तृतीय स्थान🌷
नमन मंच
विषय - तूफान
दिनांक -26/09/2020
तूफान आया और चला गया
एक तूफान घर के बाहर है
और एक मेरे मन के भीतर
जो बरसों से चल रहा है
आंधी और तूफान
बहुत कुछ उड़ा कर ले जाते है
अस्त ध्वस्त कर देते है
पीछे बस अपनी निशानियां
छोड़ कर जाते है
मेरे मन के भीतर का
तूफान भी किनारा की
तलाश में भटक रहा
उसे उसका किनारा मिल जाए
बस तूफान के बाद की
शांति और बारिश की
शीतल हवा मेरे
मन मस्तिष्क में रह जाए
मेरे भीतर उस तूफान की
कोई भी निशानी शेष ना रहे
मन में बस रह जाए
शांत बहता पानी,
एक सुकून और
बरसों बाद टूटी हुई खामोशी
स्वरचित
जया वैष्णव
जोधपुर राजस्थान
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
सराहनीय प्रस्तुति
🌷1️⃣🌷
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
जय-जय श्री राम राम जी
26/9/2020/शनिवार
*तूफान*
काव्य
तूफान में मन में उमड़ते।
संघर्ष की याद कराते।
जिंदगी में आते रहेंगे,
सचेत हमें कराने आते।
जीवन जीना सरल नहीं,
बाधाओ से जूझना हमें।
पतझड तो होता रहेगा,
इससे नहीं डरना हमें।
साहस सदैव हिम्मत रखें।
धैर्यवान बनकर हम रहें।
अंतस में तो भगवान बैठे,
तैयार लडने को हम रहें।
पतझड़ बसंत आऐं जाएं।
तूफानों से नहीं घबराऐ।
सामना दुनिया से करना पड़े
सुख दुख संसार में मिल जाएं।
स्वरचित
इंजी शंम्भू सिंह रघुवंशी अजेय
गुना म प्र
🌷2️⃣🌷
तूफान भी तरह तरह के होते है
अगर भयंकर उफान पर होते है
तो कर लेते है सर्व तहस नहस !!!
तूफान महज न केवल प्राकृतिक बाढ बरसाती या रेतीले जिससे की
हम सब परिचित है
वे जो भौगोलिक कारण से स्वभाविक और सहज !!
ये तूफान वैचारिक भी होते है बहुत बार
कुछ सहज और कुछ होते
है असहज !
नहीं रहता वश मन पर और
आवेश में जाता
आदमी पथ भटक!!
अगर गुबार बना आक्रोश रोष का
उमड कर
अप्रिय परिणाम की रहती दहशत!!
इस लिए गुणिजन कहते है अगर यह दुर्भाग्य से हो तूफानी आवेगों की विवशता तो ध्यान ज्ञान से करे वश!!!
स्वरचित::अशोक दोशी
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित चित्र आधारित कविता लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।
अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)
चित्र गूगल से साभार
नमन मंच
महाराष्ट्र कलम के सुगंध
विषय .....तूफ़ान
26-09-20 शनिवार
तूफ़ान भरा ये जीवन है़ ,
अनगिनत तूफानें आते हैं ।
मानव की जड़ें हिलाते ये ,
जीवन में व्यथा बढ़ाते हैं ।
साहस और धैर्य परीक्षा में,
हर बार सफलता नहीं मिलती।
व्याकुलता अंतर्मन बढ़ती ,
हृदय में शांति नहीं बनती।
तूफ़ान कभी परिवार को घेरे ,
प्रतिवाद का रूप दिखाता है।
संवाद विषम बन जाते हैं,
रिश्तों में कुटिलता लाता है।
कहीं निर्धनता तूफ़ान बने,
अति धन व्यथा भी बन जाये।
बे मौत का मंजर जब घेरे,
मानव को घायल कर जाये।
तूफ़ान कहीं बिगड़ी पीढ़ी ,
कहीं बेटी का वो दर्द बने।
बिगड़ा है़ स्वास्थ बीमारी से ,
कहीं बेटी का वो दर्द बने।
तूफ़ान जहर हैं जीवन के ,
पर जहरॉ को पीने पड़ते ।
तूफानों से मत विचलित हो,
ये जीवन के हिस्से बनते ।
स्वरचित सुधा चतुर्वेदी मधुर
मुंबई
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
द्वितीय स्थान
नमन मंच
विषय-तूफान
दिनांक-26/9/20
प्रकृति के इशारे।
फैलाये मुँह पसारे।
तिमिर तूफान लेकर।
हास परिहास बनकर।
प्रलय का ले ववण्डर
वायु प्रतिकूल होकर।
ह्रदय का शूल बन।
राह वीरान कर।
उभरती टीस बन।
दुःखत तरंगे आई।
मुश्किलें कम न थी।
विपत्ति जो फिर आई।
बवण्डर बन झोंके।
सुनाते प्रलय हरहर।
कपन्तित सभी दिशाएं।
धरा भी थरथराई।
टूटे वृक्ष लताये।
रजत कण बिखराये।
मिटे है अनगिनत घरौंदे।
जगत से गए है कितने।
अजब सा फैला मंजर।
लुटा सा प्रकृति बवण्डर।
स्वरचित
मीना तिवारी
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
तृतीय स्थान
२६/९/२०२०
शनिवार
नमन मंच
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
विषय-तूफान
विधा-कविता
- - - -
* द्रौपदी *
द्रौपदी के मन में,भीषण तुफ़ान था
सरल जीवन में व्यवधान था।
भरी सभा में,द्रौपदी का मिटा
मान-सम्मान था।
धृतराष्ट्र-दरबार में दुर्योधन ने
किया अपमान था।
धूर्त दुशासन ने चीर हरण कर
सम्मान,हनन किया था।
अनाथिनी द्रौपदी के आर्त कंठ
लज्जा,घृणा,से व्यथित था।
दुष्ट दुशासन द्रौपदी को केश
खीचभरी सभा में लाया।
वस्त्र खीचकर द्रौपदी का मन
ही मन हर्षाया।
पंच-पांडव एक दूसरे का मुँह
देखते रहे सर झुकाये।
अपमान का तुफा़न मन में
,द्रौपदी ने प्रतिज्ञा ठानी।
दुशासन के खून से बाल धोने
की,मन में प्रण ठानी।
हुआ परिणाम भयानक
महाभारत छिड़ गया।
कौरवों का दुनिया से नामों
निशान मिट गया ।
*"नीलम पटेल" *प्रयागराज *
(स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशित रचना)
🌷तृतीय स्थान🌷
नमन मंच
विषय - तूफान
दिनांक -26/09/2020
तूफान आया और चला गया
एक तूफान घर के बाहर है
और एक मेरे मन के भीतर
जो बरसों से चल रहा है
आंधी और तूफान
बहुत कुछ उड़ा कर ले जाते है
अस्त ध्वस्त कर देते है
पीछे बस अपनी निशानियां
छोड़ कर जाते है
मेरे मन के भीतर का
तूफान भी किनारा की
तलाश में भटक रहा
उसे उसका किनारा मिल जाए
बस तूफान के बाद की
शांति और बारिश की
शीतल हवा मेरे
मन मस्तिष्क में रह जाए
मेरे भीतर उस तूफान की
कोई भी निशानी शेष ना रहे
मन में बस रह जाए
शांत बहता पानी,
एक सुकून और
बरसों बाद टूटी हुई खामोशी
स्वरचित
जया वैष्णव
जोधपुर राजस्थान
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
सराहनीय प्रस्तुति
🌷1️⃣🌷
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
जय-जय श्री राम राम जी
26/9/2020/शनिवार
*तूफान*
काव्य
तूफान में मन में उमड़ते।
संघर्ष की याद कराते।
जिंदगी में आते रहेंगे,
सचेत हमें कराने आते।
जीवन जीना सरल नहीं,
बाधाओ से जूझना हमें।
पतझड तो होता रहेगा,
इससे नहीं डरना हमें।
साहस सदैव हिम्मत रखें।
धैर्यवान बनकर हम रहें।
अंतस में तो भगवान बैठे,
तैयार लडने को हम रहें।
पतझड़ बसंत आऐं जाएं।
तूफानों से नहीं घबराऐ।
सामना दुनिया से करना पड़े
सुख दुख संसार में मिल जाएं।
स्वरचित
इंजी शंम्भू सिंह रघुवंशी अजेय
गुना म प्र
🌷2️⃣🌷
तूफान भी तरह तरह के होते है
अगर भयंकर उफान पर होते है
तो कर लेते है सर्व तहस नहस !!!
तूफान महज न केवल प्राकृतिक बाढ बरसाती या रेतीले जिससे की
हम सब परिचित है
वे जो भौगोलिक कारण से स्वभाविक और सहज !!
ये तूफान वैचारिक भी होते है बहुत बार
कुछ सहज और कुछ होते
है असहज !
नहीं रहता वश मन पर और
आवेश में जाता
आदमी पथ भटक!!
अगर गुबार बना आक्रोश रोष का
उमड कर
अप्रिय परिणाम की रहती दहशत!!
इस लिए गुणिजन कहते है अगर यह दुर्भाग्य से हो तूफानी आवेगों की विवशता तो ध्यान ज्ञान से करे वश!!!
स्वरचित::अशोक दोशी
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित चित्र आधारित कविता लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।
अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)
चित्र गूगल से साभार
चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई 💐💐💐💐
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteमंच का आभार ,वंदन अभिनंदन । मेरी रचना को तृतीय श्रेणी प्रदान करने के लिए निर्णायक मंडल का सधन्यवाद💐💐💐💐💐
ReplyDeleteमंच का आभार ,वंदन अभिनंदन । मेरी रचना को तृतीय श्रेणी प्रदान करने के लिए निर्णायक मंडल का सधन्यवाद💐💐💐💐💐
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