Thursday, October 1, 2020

आग/अग्नि

प्रथम स्थान
नमन मंच
महाराष्ट्र क़लम की सुगंध
विषय ..आग / अग्नि
01-10-20 गुरुवार

अग्नि कई प्रकार की ,
   होती हैं इस संसार ।
      घर अग्नि दावानल अग्नि,
          पेट भूख की आग ।
सबसे बदतर अग्नि हैं वो ,
   जीवन में आग लगाये ।
     अंतर्मन की अग्नि को बोलो ,
        कैसे कोई बुझाये?
अंतर्मन में आग लगे ,
   मानव अंधा हो जाता ।
     जैसी गति अब देख रहे हो,
         जग कैसा झुलसाया। 
कब तक अगन ये बलात्कार की ,
 जग में जलन करेगी ? 
   कौन सा नीर बहायें इसमें,
      जिससे ये आग बुझेगी ?
कौन सी चिंगारी दानव में ,
  उठती जो ये आग लगाता ।
      क्यों भूला वो जो तू आज है़,
         ऐसी युवती ने उपजाया ।
उसी युवति की मर्यादा तू ,
   आज भंग है़ करता।
     क्यों नहीं शर्म जरा खाता,
        पानी में डूब तू मरता ।
बंद करो इन व्यभिचारों को ,
  इतना देख रहे हो ।
     इससे ज्यादा पाप की हालत ,
         क्या तुम अब चाहते हो ?

स्वरचित सुधा चतुर्वेदी मधुर 
                  मुंबई
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द्वितीय स्थान
नमन मंच
विषय-आग
दिनांक-1/10/20
विधा-छंदमुक्त

व्यथिति ह्रदय से
धधक रही
अन्तर्मन की ज्वालायें
आखिर कब तक
मिटती रहेगी
घर आँगन की अबलाएं
चारो तरफ मची हुई
बेटियों पर यातनाएं
अश्क भरे नयनो से ताके
बतला दो मुझको सारे
शीर्ण काया
छिन्न भिन्न अंगस्थल
निस्तेज नयन निहारे
अभी अभी तो हुई सुबह थी
तिमिर प्रभा क्यों आई
आखिर कब तक
सहती रहेगी
ओ माँ तेरी बिटिया रानी
नही कोई अपराध मेरा
फिर भी चेहरा मेरा काला
जीकर भी मरते रहेंगे
पीना होगा
विषपान मेरा
हाथ जोड़कर
विनती करती
एक माँ बाबा की प्यारी परी
साहस अगर
तुममे हो मानव
तो इतना कल्याण करो
नारे बाजी ,प्रदर्शनऔर
श्रंद्धाजलि ये
सारे अपवाद बंद करो
मेरी तरह इन दरिंदो को
तिल तिल कर
मरने को मजबूर करो
फांसी ही अंत है इनका
दर्द इनको भी सहने दो
तड़फ तड़फ कर
मौत माँगने को इनको मजबूर करो
नही जानते
फाँसी पाकर
एक एक साँस की कठिनाई
कैसे हमने मौत पाई
कितने सपने हमने सजोये
जो थे बरसो से जोए
इतना खौफ भर दो इनमे भी
भूल जाये
बेटा बनकर जीना....

स्वरचित
मीना तिवारी
पुणे महाराष्ट्र
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तृतीय स्थान
मंच को नमन
विषय :आग/अग्नी
दिनांक१-१०-२०२०

हे आग अग्नि तेरे अनेक
अनेक स्वरूप
और अनगिनत अलग कई रंग रूप!!

मंदिर का दीपक आरती की लौ
अगरबती से निकले
धूएं को कहते है धूप!!

आग की आंच अनुपात में हो
तो अव्यय को आयाम और आकार ये देती
अतिरेक हो तो करती भष्मिभूत!!

चूल्हे में खुद जल कर खाना पकाती
जंगल में जले तो दावा नल
कहलाती
सौम्य यज्ञ होम हवन दैविक प्रारूप!!

कल कारखानों
और भट्ठी की आग में तपती तपाती
चूने से लेकर सोना
लोहे से लेकर कांच कथिर पिघलाती

अदृश्य ऐसी क्रोध रोष आक्रोश की आग भी कम नही
धधकती तो सीने में पर
जलती जलाती ज्वाला करती हुई तहस नहस गुजरती
उसका भी रहता एक अलग प्रकार खौफ!!

देश भक्ति की आग भी आग है
जो निश्च्छल  होकर मंद मंद जलती
मर मिट जाने तक और सरफरोशी की तमन्ना लिए बे रोक!!

अचानक लगी हादसों की आग कुपित 
हुई अगर
लाशें ढल जाती कई
बढ गया अगर कोप प्रकोप!!

एक आग जो शमशान में लाशों को भी जलाती!!
खुद जलकर होती न्यौछावर लेकर भाव निर्लेप निर्लोभ !!

अशोक दोशी
सिकन्दराबाद
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सराहनीय प्रस्तुति
1️⃣
नमनमंच संचालक ।
महाराष्ट्र कलम की सुगन्ध।
विषय - आग/ अग्नि
विधा - मुक्तक
स्वरचित

आग जल रही है जोशे-उमंग,दिल में संभाल कर रखिये।
रखना है अपना बजूद जिंदा,स्वाभिमान बचा कर रखिये।
बुझ गयी लौ संघर्षों की धूप से,तो फिर रह जायेगा क्या
ताप सहने की कुब्बत जद्दोजहद में सहज बचा कर रखिये।।
****

प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
01/10/2020
2️⃣
महराष्ट्र की कलम की सुगंध आदरणीया अनुराधानरेन्द्र चौहान जी एडमिन विषय आगहै।।
गजल ----
झूठ को सीने से हम लगा बैठे है,
सच के जलते दीये हम बुझा बैठे है।।1।।
भू पर अमीर गरीब जातियाँ दो है,
फासलें क्यो दिलों में हम बना बैठे है।।2।।
मानवता की बगिया में तुम देखो,
नेता कौमी आग को जला बैठै है।ः3।।
हिंसा घृणा,के बीज हम ही बोते रहे है,
सत्य निष्ठा,प्रेम, को हम जला बैठे है।।4।।
जनसेवक कहाँ है झूठों वादों से,
देश के नेता हमे बहला बैठे है।।
स्वरचित दैवेन्द्रनारायण दासबसना छ,ग,।।
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महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित विषय आधारित लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।

अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)

चित्र गूगल से साभार

2 comments:

  1. चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई 💐💐💐💐

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  2. सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌👌

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पिता

  प्रथम स्थान नमन महाराष्ट्र क़लम की सुगंध मंच दिनांक - १६/१०/२०२० दिन - शुक्रवार विषय - पिता --------------------------------------------- ...