प्रथम स्थान
नमन मंच
महाराष्ट्र क़लम के सुगंध
विषय ....चित्र लेखन
25-09-20 शुक्रवार
सूर्य का अब अवसान समय ,
चन्द्रोदय गतिशील हुआ
दोंनों प्रहर का संगम सुन्दर ,
विधना का विधि रूप खिला ।
नभ में घोर कालिमा छाई ,
सूर्य छिपा पश्चिम दिशि पर ।
उसी तरह चन्द्रोदय होता ,
शुभ पूर्व दिशा के ही अंदर ।
सूर्य अस्त और चन्द्र उदय की ,
गति हमको अवगत करती ।
सृष्टि के ये नीति नियम हैं ,
जीवन राह है आनी जानी ।
तपन सूर्य की तुमने देखी ,
चन्द्र की शीतलता देखो।
वक्त वक्त का फेर है मानव ,
दुःख सुख की झांकी देखो।
सूर्य अस्त के बाद मान लो ,
चन्द्रोदय सम्भव नहीं होता ।
बिना चाँदनी मानव कैसे ,
सुखमय जीवन को जीता
उदय अस्त का नियम यही है,
जन्म के बाद मृत्यु सम्भव ।
मानव सफल वही ही होगा ,
जो इस नियम का ले संबल।
स्वरचित ....सुधा चतुर्वेदी मधुर
मुंबई
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
द्वितीय स्थान
नमन मंच
तिथि-25/09/2020
विषय-चित्र लेखन
ओ मेरे चाँद
*********
मेरी खिड़की से झांकता चाँद
आज फिर बहुत कुछ याद दिला गया
कहाँ हो तुम?
आज तन्हा हूँ मैं
कभी साथ गुजारा हुआ वक्त
तुम्हारे साथ याद आता है
तब ये चाँद
हमारे दरम्याँ हुआ करता था
हमारा हमदम, हमारा हमराज चाँद
कर देता था हमें चाँदनी से सराबोर
आज चाँद तो है
पर तुम नहीं हो
देती हूँ आवाज तुम्हें
पर एकान्त से टकरा कर
लौट आती है मेरी हर एक सदा
मेरी हर उम्मीद,मेरा हर सपना
होकर मायूस।
कभी इनके साथ तुम भी
लौट आओ ना!
देखो,,,आसमां पर टिकी है मेरी नजर
खोजती तुम्हें इन चांद तारों की झुरमुटों में
कुछ तो मुझे ढाढ़स बाँधा जाओ।
प्रिये,,,तुम हो कहाँ?
खोजती है तुम्हें मेरी नज़र
इन चांद तारों के झुरमुटों में!
अनिता निधि
जमशेदपुर,झारखंड
🌹 द्वितीय स्थान 🌹
नमन मंच
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
विषय - चित्रलेखन
________________
आसमाँ पे छाई लालिमा स्याह रात का अंधियारा
सूर्य अस्त तारों की रोशनी गगन पर चाँद चमकेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
सूर्य की बिखरती रश्मियाँ करती है अठखेलियाँ
आशा ही जीवन है मन में सद्भाव जरूर जगेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
बागों में छाई हरियाली महक रही हर डाली-डाली
कली खिल रही पौधों में खुशबू से उपवन महकेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
झील-नदी तालाब-तलैया मछली करें ता-ता थैया
लहलहाती जल की लहरें कमल का फूल खिलेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
पूर्ण लगन मेहनत करना कभी नही किसी से डरना
कामयाबी मिलेगी तुम्हें, किस्मत का द्वार खुलेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
जीवन में संघर्ष बहुत है तुम कभी नही घबराना
निरंतर करें अपना काम तुम्हें हौसला जरूर बढ़ेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
तृतीय स्थान
नमन मंच
विषय-चित्र लेखन
दिनांक-25/9/20
साँझ की बेला
मिलन अलबेला
निशा दिवस का
रंग रंगीला
ढलता सूरज
धरा गगन का
रूप सजीला
घूंघट ओढे
निशा अलबेली
ओढ़ नारंगी
प्यारी चुनर
इश्क की खुसबू
फैले जग में
पलके झुकाकर
नयन लड़ाए
तीर नजर के
है चलाये
साँझ शरमाये
देख लालिमा
प्रेम मिलन का
दृश्य सुनहरा
प्रतिदिन होता
निशा दिवस का
दीदार मिलन का
रहा अधूरा
रहता अधूरा
रहेगा अधूरा
राज घूंघट का
स्वरचित
मीना तिवारी
🌹तृतीय स्थान🌹
२५/९/२०२०
शुक्रवार
नमन मंच
"महाराष्ट्र कलम की सुगंध
विषय-चित्र -लेखन
विधा-कविता
- - - - -
*प्रतीक्षा *
हे वीर वधु ! तू स्तब्ध खड़ी
क्या देखती नभ में चंदा !
यूँ विस्मय व्यग्र सी निहारती
तू क्या ,सोच रही।
वह तो बादलों में छुपकर
लुका छिपी खेल रहा।
शायद द्वारपर है,तेरा सुहाग
इंतज़ार, कर रहा।
निर्जला व्रत रक्खा,कुछ खा
ले,उद्यापन कर ले।
बहुत हुआ व्रत उपवास,प्रभु ने
तेरी प्रार्थना सुन ली।
बदली में छुपता फिर निकलता
चाँद,तुझे सता रहा।
निश्छलआँखें इसकी,मत सता
विरहणी मन,न जला।
येशांत,मधुर,गम्भीर,सौम्य खड़ी
तुझे निहारती सदा।
अपने चंद्र सुधा से इस विरहणी
के संताप मिटा।
पति इसका हिन्द की सीमा पर
दुश्मन से लड़ रहा।
अक्सर इसने पति दीर्घायु के
लिए,व्रत रक्खा।
गुहार लगातीअन्तर्मन ही कुछ
तुझसे कह रही।
सुन लेना दुखियारिन की पुकार
यह आषीश मांग रही।
* * *
*"नीलम पटेल"*प्रयागराज *
(स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशित रचना)
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
सराहनीय प्रस्तुति
🌹1️⃣🌹
नमन मंच
महाराष्ट्र क़लम के सुगंध
विषय ....चित्र लेखन
25-09-20 शुक्रवार
रात पर बोझ बढ़ गया होगा
चांद के घर बड़ी उदासी है!!
चांदनी गांव तक गई होगी
आज कुछ घरों की तलाशी है!!
दर्द से टूटता बदन क्यों है
मूर्ति किसने यहां तराशी है !!
बादलों को कहां पता होगा
आत्मा और एक प्यासी है !!
रूप तो ज्ञान का पड़ोसी है
सच कहूं वह बड़ा सियासी है!!
वक्त को बांध लो भुजाओं में
बात बिगड़ी अभी जरा सी है!!
स्वरचित :प्रतिभा पाण्डेय ,
गोरखपुर ,उत्तर प्रदेश
🌹2️⃣🌹
देख लो सोच लो मनन और मंथन भी कर लो जी भर
सूरज का साम्राज्य भी सदंतर नही चलता
कभी पूरी धरा पर
आना जाना लुकना छिपना लगा रहता है
और कम हो जाता है उसका अस्त काल में
बल जोर!!
चाहे वो कितना विशाल व सक्षम है
फिर भी
लेनी पड़ती है बहुत बार बादलों की
शरण पनाह और उसकी आगोश
तो फिर हम किस खेत की मूली है
जो चलेगा किस संजोग में
हमारा रूतबा समृद्धि और
सामाजिक साम्राज्यिक दबदबा दंभ
और निरंतर रौब !!
चाहे कितने भी कामयाब हो जीवन में
पर नहीं चलती किसी की जीवन भर
चाहो तो इस दृश्य पर कर लो जब मन चाहे
कभी भी गौर!
स्वरचित :अशोक दोशी
सिकन्दराबाद
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित चित्र आधारित कविता लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।
अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)
चित्र गूगल से साभार
नमन मंच
महाराष्ट्र क़लम के सुगंध
विषय ....चित्र लेखन
25-09-20 शुक्रवार
सूर्य का अब अवसान समय ,
चन्द्रोदय गतिशील हुआ
दोंनों प्रहर का संगम सुन्दर ,
विधना का विधि रूप खिला ।
नभ में घोर कालिमा छाई ,
सूर्य छिपा पश्चिम दिशि पर ।
उसी तरह चन्द्रोदय होता ,
शुभ पूर्व दिशा के ही अंदर ।
सूर्य अस्त और चन्द्र उदय की ,
गति हमको अवगत करती ।
सृष्टि के ये नीति नियम हैं ,
जीवन राह है आनी जानी ।
तपन सूर्य की तुमने देखी ,
चन्द्र की शीतलता देखो।
वक्त वक्त का फेर है मानव ,
दुःख सुख की झांकी देखो।
सूर्य अस्त के बाद मान लो ,
चन्द्रोदय सम्भव नहीं होता ।
बिना चाँदनी मानव कैसे ,
सुखमय जीवन को जीता
उदय अस्त का नियम यही है,
जन्म के बाद मृत्यु सम्भव ।
मानव सफल वही ही होगा ,
जो इस नियम का ले संबल।
स्वरचित ....सुधा चतुर्वेदी मधुर
मुंबई
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
द्वितीय स्थान
नमन मंच
तिथि-25/09/2020
विषय-चित्र लेखन
ओ मेरे चाँद
*********
मेरी खिड़की से झांकता चाँद
आज फिर बहुत कुछ याद दिला गया
कहाँ हो तुम?
आज तन्हा हूँ मैं
कभी साथ गुजारा हुआ वक्त
तुम्हारे साथ याद आता है
तब ये चाँद
हमारे दरम्याँ हुआ करता था
हमारा हमदम, हमारा हमराज चाँद
कर देता था हमें चाँदनी से सराबोर
आज चाँद तो है
पर तुम नहीं हो
देती हूँ आवाज तुम्हें
पर एकान्त से टकरा कर
लौट आती है मेरी हर एक सदा
मेरी हर उम्मीद,मेरा हर सपना
होकर मायूस।
कभी इनके साथ तुम भी
लौट आओ ना!
देखो,,,आसमां पर टिकी है मेरी नजर
खोजती तुम्हें इन चांद तारों की झुरमुटों में
कुछ तो मुझे ढाढ़स बाँधा जाओ।
प्रिये,,,तुम हो कहाँ?
खोजती है तुम्हें मेरी नज़र
इन चांद तारों के झुरमुटों में!
अनिता निधि
जमशेदपुर,झारखंड
🌹 द्वितीय स्थान 🌹
नमन मंच
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
विषय - चित्रलेखन
________________
आसमाँ पे छाई लालिमा स्याह रात का अंधियारा
सूर्य अस्त तारों की रोशनी गगन पर चाँद चमकेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
सूर्य की बिखरती रश्मियाँ करती है अठखेलियाँ
आशा ही जीवन है मन में सद्भाव जरूर जगेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
बागों में छाई हरियाली महक रही हर डाली-डाली
कली खिल रही पौधों में खुशबू से उपवन महकेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
झील-नदी तालाब-तलैया मछली करें ता-ता थैया
लहलहाती जल की लहरें कमल का फूल खिलेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
पूर्ण लगन मेहनत करना कभी नही किसी से डरना
कामयाबी मिलेगी तुम्हें, किस्मत का द्वार खुलेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
जीवन में संघर्ष बहुत है तुम कभी नही घबराना
निरंतर करें अपना काम तुम्हें हौसला जरूर बढ़ेगा
नई सुबह नई किरणें लेकर कल भी सूरज उगेगा।
सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
तृतीय स्थान
नमन मंच
विषय-चित्र लेखन
दिनांक-25/9/20
साँझ की बेला
मिलन अलबेला
निशा दिवस का
रंग रंगीला
ढलता सूरज
धरा गगन का
रूप सजीला
घूंघट ओढे
निशा अलबेली
ओढ़ नारंगी
प्यारी चुनर
इश्क की खुसबू
फैले जग में
पलके झुकाकर
नयन लड़ाए
तीर नजर के
है चलाये
साँझ शरमाये
देख लालिमा
प्रेम मिलन का
दृश्य सुनहरा
प्रतिदिन होता
निशा दिवस का
दीदार मिलन का
रहा अधूरा
रहता अधूरा
रहेगा अधूरा
राज घूंघट का
स्वरचित
मीना तिवारी
🌹तृतीय स्थान🌹
२५/९/२०२०
शुक्रवार
नमन मंच
"महाराष्ट्र कलम की सुगंध
विषय-चित्र -लेखन
विधा-कविता
- - - - -
*प्रतीक्षा *
हे वीर वधु ! तू स्तब्ध खड़ी
क्या देखती नभ में चंदा !
यूँ विस्मय व्यग्र सी निहारती
तू क्या ,सोच रही।
वह तो बादलों में छुपकर
लुका छिपी खेल रहा।
शायद द्वारपर है,तेरा सुहाग
इंतज़ार, कर रहा।
निर्जला व्रत रक्खा,कुछ खा
ले,उद्यापन कर ले।
बहुत हुआ व्रत उपवास,प्रभु ने
तेरी प्रार्थना सुन ली।
बदली में छुपता फिर निकलता
चाँद,तुझे सता रहा।
निश्छलआँखें इसकी,मत सता
विरहणी मन,न जला।
येशांत,मधुर,गम्भीर,सौम्य खड़ी
तुझे निहारती सदा।
अपने चंद्र सुधा से इस विरहणी
के संताप मिटा।
पति इसका हिन्द की सीमा पर
दुश्मन से लड़ रहा।
अक्सर इसने पति दीर्घायु के
लिए,व्रत रक्खा।
गुहार लगातीअन्तर्मन ही कुछ
तुझसे कह रही।
सुन लेना दुखियारिन की पुकार
यह आषीश मांग रही।
* * *
*"नीलम पटेल"*प्रयागराज *
(स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशित रचना)
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सराहनीय प्रस्तुति
🌹1️⃣🌹
नमन मंच
महाराष्ट्र क़लम के सुगंध
विषय ....चित्र लेखन
25-09-20 शुक्रवार
रात पर बोझ बढ़ गया होगा
चांद के घर बड़ी उदासी है!!
चांदनी गांव तक गई होगी
आज कुछ घरों की तलाशी है!!
दर्द से टूटता बदन क्यों है
मूर्ति किसने यहां तराशी है !!
बादलों को कहां पता होगा
आत्मा और एक प्यासी है !!
रूप तो ज्ञान का पड़ोसी है
सच कहूं वह बड़ा सियासी है!!
वक्त को बांध लो भुजाओं में
बात बिगड़ी अभी जरा सी है!!
स्वरचित :प्रतिभा पाण्डेय ,
गोरखपुर ,उत्तर प्रदेश
🌹2️⃣🌹
देख लो सोच लो मनन और मंथन भी कर लो जी भर
सूरज का साम्राज्य भी सदंतर नही चलता
कभी पूरी धरा पर
आना जाना लुकना छिपना लगा रहता है
और कम हो जाता है उसका अस्त काल में
बल जोर!!
चाहे वो कितना विशाल व सक्षम है
फिर भी
लेनी पड़ती है बहुत बार बादलों की
शरण पनाह और उसकी आगोश
तो फिर हम किस खेत की मूली है
जो चलेगा किस संजोग में
हमारा रूतबा समृद्धि और
सामाजिक साम्राज्यिक दबदबा दंभ
और निरंतर रौब !!
चाहे कितने भी कामयाब हो जीवन में
पर नहीं चलती किसी की जीवन भर
चाहो तो इस दृश्य पर कर लो जब मन चाहे
कभी भी गौर!
स्वरचित :अशोक दोशी
सिकन्दराबाद
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महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित चित्र आधारित कविता लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।
अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)
चित्र गूगल से साभार
चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐💐💐💐💐
ReplyDeleteमंच का हार्दिक वंदन,अभिनंदन ,आभार सधन्यवाद।💐💐💐💐
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति 👌👌👌👌
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