प्रथम स्थान
नमन मंच
महाराष्ट्र क़लम के सुगंध
विषय ...रंग
22-09-20 मंगलवार
सृष्टि के निर्माता ने रंगो का ,
विधान बिखेरा है ।
प्राकृतिक की छटा निराली ,
बहु विध रंग उकेरा है ।
श्वेत रंग है शांतिप्रदायक ,
केसरिया त्याग प्रतीक बना ।
हरा रंग हरियाली दर्शित ,
तीनों से तिरंगा मान बढ़ा ।
इस दुनियाँ में रंग अनेकों ,
प्रेम रंग अपनाहित का ॥
घृणा रंग नफरत फैलाये ,
क्रोध रंग ज्वालामुखी सा ।
त्याग रंग रामायण रच दे,
तो ज्ञान रंग साहित्य रचे ।
बलिदान रंग से सैनिक शोभित ,
दया रंग से दानी सजे ।
इन रंगो से चित्रित जग है ,
रंग बिना जीवन सूना ।
साहस धैर्य हिम्मत के रंग से ,
जीवन सुखमय है पूरा ॥
स्वरचित सुधा चतुर्वेदी मधुर
.मुंबई
🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀
द्वितीय स्थान
नमन मंच
विषय - रंग
विधा - कविता
दिनांक - २२/०९/२०२०
दिन - मंगलवार
--------------------------------------------
नील गगन पर इंद्रधनुष ने सातों रंग बिखेरा है।
ऊपर वाले कलाकार ने अद्भुत चित्र उकेरा है।।
नीला पीला हरा बैंगनी खिला खिला हर रंग है।
इंद्रधनुष के इन्हीं रंग से जीवन में भी रंग है।।
पीला सूरज घने पेड़ की डाली से जब छनता है।
खिलता है जब रंग धरा पर चित्र मनोरम बनता है।।
हरियाली चूनर से धरती दुल्हन जैसी लगती है।
दुग्ध सरिस जलधार लिए ये सरिता कल-कल बहती है।।
एक रंग से यह जीवन और प्रकृति नीरस हो जाए।
बहुरंगी हों रंग तभी संसार नयन को भी भाए।।
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित
🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀
तृतीय स्थान
नमन मंच
विषय-रंग
जीवन के रंगों को हमने।
सप्तरंगी होते देखा है।
रंग भरे जीवन को हमने
बदरंगी भी होते देखा है।
क्रत्रिम रंग के मुखौटे।
मनभावन सावन देखा है।
वक्त के साथ रंगों को
निश दिन रंग बदलते देखा है।
रंग बदलती इस दुनिया मे
रंगों का आकर्षण देखा है।
असली नकली रंग बिरंगी
अपनो को झुठलाते देखा है।
सुख दुख जीवन के पहलू
हँसते और रोते देखा है।
सुख रंग दिखता हैसियत
दुख में दूरी को देखा है।
सुख का रंग है चटकीला
दुख को रंगहीन देखा है।
बदरंगी जीवन को हमने
कुंदन सा चमकता देखा है।
स्वरचित
मीना तिवारी
पुणे महाराष्ट्र
🌹तृतीय स्थान 🌹
नमनमंच संचालक ।
महाराष्ट्र कलम की सुगन्ध।
विषय - रंग।
स्वरचित।
जीवन के हर दौर में,
हर भाव के लिए
रंग हमारी भाषा में
अपनी अभिव्यक्ति देते हैं।
और हमारे जीवन को
अपने रंगों की तरह
रंग-बिरंगा कर देते हैं।।
प्रेम के लिए लाल, गुलाबी।
शांति और पावनता के लिए सफेद
तो काला शोक या नकारात्मक।
नारंगी त्याग और वीरता का
तो पीला उत्साह-उमंग का
नीला ठंडक का तो हरा खुशी का।
तारीफ़ में किसी मुखड़े के
यूं कह उठता कवि अनायास-
सिन्दूरी कपोल और
कजरारी अंखियां।
या बादामी आंखों में
झील सी गहराइयां।
सुर्ख गुलाबी होंठ
मानो गुलाब पंखुड़ियां।
स्वर्ण सा दमकता चेहरा
काली घटा से लहराते बाल।
नीले सागर जैसी आंखें और
शर्म से हुये लाल गाल।
यूं तो रंगों के कारनामों की
लिस्ट बड़ी लंबी है।
भावनाओं की अभिव्यक्ति में
भी कई सारे रंग बोलते हैं।
राज अन्दर के कभी आंखो तो
कभी चेहरे की रंगत से खोलते हैं।।
***
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
22/09/2020
🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀
महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित चित्र आधारित कविता लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।
अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)
चित्र गूगल से साभार
नमन मंच
महाराष्ट्र क़लम के सुगंध
विषय ...रंग
22-09-20 मंगलवार
सृष्टि के निर्माता ने रंगो का ,
विधान बिखेरा है ।
प्राकृतिक की छटा निराली ,
बहु विध रंग उकेरा है ।
श्वेत रंग है शांतिप्रदायक ,
केसरिया त्याग प्रतीक बना ।
हरा रंग हरियाली दर्शित ,
तीनों से तिरंगा मान बढ़ा ।
इस दुनियाँ में रंग अनेकों ,
प्रेम रंग अपनाहित का ॥
घृणा रंग नफरत फैलाये ,
क्रोध रंग ज्वालामुखी सा ।
त्याग रंग रामायण रच दे,
तो ज्ञान रंग साहित्य रचे ।
बलिदान रंग से सैनिक शोभित ,
दया रंग से दानी सजे ।
इन रंगो से चित्रित जग है ,
रंग बिना जीवन सूना ।
साहस धैर्य हिम्मत के रंग से ,
जीवन सुखमय है पूरा ॥
स्वरचित सुधा चतुर्वेदी मधुर
.मुंबई
🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀
द्वितीय स्थान
नमन मंच
विषय - रंग
विधा - कविता
दिनांक - २२/०९/२०२०
दिन - मंगलवार
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नील गगन पर इंद्रधनुष ने सातों रंग बिखेरा है।
ऊपर वाले कलाकार ने अद्भुत चित्र उकेरा है।।
नीला पीला हरा बैंगनी खिला खिला हर रंग है।
इंद्रधनुष के इन्हीं रंग से जीवन में भी रंग है।।
पीला सूरज घने पेड़ की डाली से जब छनता है।
खिलता है जब रंग धरा पर चित्र मनोरम बनता है।।
हरियाली चूनर से धरती दुल्हन जैसी लगती है।
दुग्ध सरिस जलधार लिए ये सरिता कल-कल बहती है।।
एक रंग से यह जीवन और प्रकृति नीरस हो जाए।
बहुरंगी हों रंग तभी संसार नयन को भी भाए।।
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित
🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀
तृतीय स्थान
नमन मंच
विषय-रंग
जीवन के रंगों को हमने।
सप्तरंगी होते देखा है।
रंग भरे जीवन को हमने
बदरंगी भी होते देखा है।
क्रत्रिम रंग के मुखौटे।
मनभावन सावन देखा है।
वक्त के साथ रंगों को
निश दिन रंग बदलते देखा है।
रंग बदलती इस दुनिया मे
रंगों का आकर्षण देखा है।
असली नकली रंग बिरंगी
अपनो को झुठलाते देखा है।
सुख दुख जीवन के पहलू
हँसते और रोते देखा है।
सुख रंग दिखता हैसियत
दुख में दूरी को देखा है।
सुख का रंग है चटकीला
दुख को रंगहीन देखा है।
बदरंगी जीवन को हमने
कुंदन सा चमकता देखा है।
स्वरचित
मीना तिवारी
पुणे महाराष्ट्र
🌹तृतीय स्थान 🌹
नमनमंच संचालक ।
महाराष्ट्र कलम की सुगन्ध।
विषय - रंग।
स्वरचित।
जीवन के हर दौर में,
हर भाव के लिए
रंग हमारी भाषा में
अपनी अभिव्यक्ति देते हैं।
और हमारे जीवन को
अपने रंगों की तरह
रंग-बिरंगा कर देते हैं।।
प्रेम के लिए लाल, गुलाबी।
शांति और पावनता के लिए सफेद
तो काला शोक या नकारात्मक।
नारंगी त्याग और वीरता का
तो पीला उत्साह-उमंग का
नीला ठंडक का तो हरा खुशी का।
तारीफ़ में किसी मुखड़े के
यूं कह उठता कवि अनायास-
सिन्दूरी कपोल और
कजरारी अंखियां।
या बादामी आंखों में
झील सी गहराइयां।
सुर्ख गुलाबी होंठ
मानो गुलाब पंखुड़ियां।
स्वर्ण सा दमकता चेहरा
काली घटा से लहराते बाल।
नीले सागर जैसी आंखें और
शर्म से हुये लाल गाल।
यूं तो रंगों के कारनामों की
लिस्ट बड़ी लंबी है।
भावनाओं की अभिव्यक्ति में
भी कई सारे रंग बोलते हैं।
राज अन्दर के कभी आंखो तो
कभी चेहरे की रंगत से खोलते हैं।।
***
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
22/09/2020
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महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित चित्र आधारित कविता लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।
अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)
चित्र गूगल से साभार
चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐💐💐💐
ReplyDeleteसभी चयनित रचनाकारों को ढेर सारी बधाई 💐💐💐
ReplyDeleteधन्यवाद🙏🙏 एवं बहुत बहुत बधाई सभी को💐💐💐
ReplyDeleteचयनित साहित्यकारों को बधाईयाँ💐💐💐💐💐
ReplyDeleteचयनित साहित्यकारों को बधाईयाँ💐💐💐💐💐
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