Wednesday, September 30, 2020

पदचिह्न

प्रथम स्थान
नमन मंच
महाराष्ट्र क़लम की सुगंध
विषय ....पदचिन्ह
29-09-20 मंगलवार

पदचिन्ह हैं ये शुभ संस्कृति के ,
  जिनका मूल्यांकन लुप्त हुआ ।
    इन पद चिन्हों का संस्कार ,
       आधुनिकता सेज पर सुप्त हुआ ।

इन चरण बिंदु पर नहीं कोई ,
  अब ध्यान केंद्रित करता है।
    ये मार्ग तो अब है शून्य हुआ ,
        हो धूल धूसरित रोता है।

ये है धर्म राह परमार्थ मार्ग ,
   सजते थे किसी जमाने में।
     मेले लगते थे इन राहों पर ,
       सुनसान है अब गतिमानों में ।

बुजुर्गो के ये पद रज कण ,
    इनका अनुकरण ना कोई है।
      पाश्चात्य गति की कलई पुती ,
        अब प्रतिबंध ना कोई है।

अब मार्ग सभी बदचलन के हैं ,
    इनकी भाषा कोई क्या जाने ।
     .इनका बंधन चन्दन शीतल ,
         इन्हें उग्रवाद क्या पहचाने ।

स्वरचित सुधा चतुर्वेदी मधुर
                    मुंबई
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द्वितीय स्थान
नमनमंच संचालक ।
महाराष्ट्र कलम की सुगन्ध।
विषय - पदचिन्ह।
विधा - कविता।
स्वरचित।


मशाल थाम हाथ में
बढ चलो संघर्ष मैदान में।
रोशनी करते चलो
अंधेरे काले साये में।।

चलो ऐसी राह कि बन जाये
अनुकरणीय संसार में।
बनाओ ऐसी प्रेरणा
कि ना मिटे समय के फेर में।।

छोडते चलो निशां
अपने पदचिन्हों के।
मिटा ना सके जिन्हें कोई लहर
या ढक जायें धूल की परत से।।

प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"
29/09/2020
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तृतीय स्थान
महाराष्ट्र कलम की सुंगध
विषय - पदचिह्न

मैं इतना कमजोर नही कि तेरे दर तक नही आऊँगा।
ठोकरों की परवाह नही मैं गिरकर संभल जाऊँगा।

लाख बंदिशें हो मग़र इसकी परवाह नही मुझको,
संघर्षो से लड़कर कामयाबी हासिल कर पाऊंगा।

पथ पे चाहे कांटे मिले या फिर मिल जाये मुझे शूल,
चाहे मुश्किल डगर हो, मैं अपना फर्ज निभाऊंगा।

पा ही लूँगा मंजिल अब मंजिल हमसे ज्यादा दूर नही,
हौसला बुलन्द हो सीढ़ियाँ-दर-सीढ़ियाँ चढ़ जाऊंगा।

रेत पर चलते-चलते हमारे पैरों के निशान बन जाते हैं,
फिसलते रेत पर चलकर आगे-आगे कदम बढ़ाऊंगा।

सुमन अग्रवाल "सागरिका"
        आगरा
🌷 तृतीय स्थान 🌷
मंच व मां सरस्वती को नमन
महाराष्ट्र कलम की सुगंध मंच
विषय :पदचिन्ह
२९-९-२०२०
पदचिन्ह पावन व प्रेरक हो तो जीवन
बन जाये मुल्यवान
पर इस संभावना को संभव करने
में  पार करने पडते है कई
पडाव तब हासिल होते मुकाम!!
दाम खर्चने से नहीं मिलता
 हर किसी को हर सम्मान
उसके लिए देना पडता है तन मन से
त्याग और बलिदान!!!
इन सीमित संभावना असामान्य अर्पण में नहीं
सामान्य का काम
कुछ विरले व विरल व्यक्तित्व ही बन पाते है महान!!
जो छोड़ जाते यादगार निशांन!
जिनके पदचिन्हों से जो प्रेरित होते है
आम इंसान
पर परख कसौटी पे खरे उतरते है
वे ही बना पाते अपना स्थान !!!

अशोक दोशी
सिकन्दराबाद
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सराहनीय प्रस्तुति
1️⃣
नमन मंच
महाराष्ट्र कलम की सुगंध
दिनांक :- 29/09/20
विषय :- पद चिन्ह
विधा :- दोहा गीत
************************
सब चलते परिवार में, बड़े बडो के साथ ।
उनके ही पद चिन्ह से, मिलता सबका साथ ।।

जैसी बनी परिवार की, वैसी बनी बनाव ।
पुरखन की चलती रहे, निशदिन उन्हें मनाव ।।
उनके ही पद चिन्ह से, सभी झुकाते माथ ।
उनके ही पद चिन्ह से,मिलता सबका साथ ।।

हिन्दू संस्कृति मे बसी, पद चिन्हों की सलाह ।
वैसे चलती है सदा, नही रहे परवाह ।।
मात पिता की लीक से, होते सभी सनाथ ।
उनके ही पद चिन्ह से, मिलता सबका साथ ।।
********************
रचयिता :- सीताराम राय सरल
टीकमगढ मध्यप्रदेश
2️⃣
नमन मंच
29/09/2029
विषय-पदचिन्ह
तुम्हारा पदचिन्ह
************
करो जगत में तुम कुछ ऐसा काम
चले तुम्हारे पदचिन्हों पर आम।
तुम्हारे पदचिन्ह बनाते है आदर्श
जिसको थाम लोग बढ़ते हैं आगे।
तुम्हारे पदचिन्ह ही बनाते हैं रास्ता
जग में बनती फिर तुम्हारी दास्ताँ।
ये पदचिन्ह ही बताते किस तरफ
बढ़ रहा है ,,,,,अच्छा या बुरा रास्ता।
दुनिया में लोग करें तुम्हारा अनुसरण
तब भी जब जग से हो तुम्हारा गमन।

स्वरचित
अनिता निधि
जमशेदपुर,झारखंड
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महाराष्ट्र कलम की सुगंध द्वारा आयोजित विषय आधारित लेखन में उत्कृष्ठ सृजन के लिए आपको ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं। महाराष्ट्र कलम की सुगंध परिवार आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।

अनुराधा चौहान 'सुधी'
सचिव (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)
चित्र गूगल से साभार

1 comment:

  1. चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई 💐💐

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